सौंदर्य सिर्फ चेतना का होता है Beauty Moral Story in Hindi

बुद्ध ने 32 कुरूपताएं शरीर में गिनायी हैं, इन बत्तीस कुरूपताओं का स्मरण रखने का नाम कायगता-स्मृति है। पहली तो बात, यह शरीर मरेगा। इस शरीर में मौत लगेगी। मां के गर्भ में तुम कहां थे, तुम्हें पता है? मल-मूत्र से घिरे पड़े थे, उसी मल-मूत्र से तुम्हारा शरीर धीरे-धीरे निर्मित हुआ और उसी मल-मूत्र में नौ महीने बड़े हुए यह पैदा ही बड़ी गंदगी से हुआ है।

फिर बुद्ध कहते हैं कि अपने शरीर में इन विषयों की स्मृति रखे— केश, दांत, नख, रोम, मांस, त्वक्, अस्थिमज्जा, स्नायु, अस्थि, यकृत, क्लोमक, फुस्फुस, प्लीहा, उदरस्थ मल—मूत्र, आत, पित्त, कफ, चर्बी, रक्त, पसीना, लार आदि इन सब चीजों से भरा हुआ है यह शरीर, इसमें सौंदर्य
हो ही कैसे सकता है!

सौंदर्य तो सिर्फ चेतना का होता है देह तो मल-मूत्र का घर है। देह तो धोखा है और इस धोखे में मत पड़ना, इस बात को याद रखना कि इसको तुम कितने ही इत्र छिडको तब भी इसकी दुर्गंध नहीं जाती और तुम इसे कितने ही सुंदर वस्त्रों से ढांको, तब भी इसका असौंदर्य नहीं ढकता और तुम चाहे कितने ही सोने के आभूषण, हीरे—जवाहरात सजाओ तब भी तुम्हारे अंदर का मांस मज्जा वैसा का वैसा ही रहेगा!

जिस दिन तुम्हारी देह का चेतना रूपी पक्षी उड़ जाएगा, तुम्हारी देह को कोई दो पैसों में भी खरीदने को तैयार नहीं होगा। जल्दी से लोग ले जाएंगे और मरघट पर जला देंगे । अगर दो घड़ी रुक जाएगी देह तो बदबू आने लगेगी । अगर रोज नहाओ, धोओ, साफ करो, तब किसी तरह तुम बदबू को छिपा सकते हो लेकिन हमेशा के लिए बदबू को समाप्त नहीं कर सकते!

बुद्ध कहते हैं, सौंदर्य तो चेतना का होता है, शरीर तो कुरूप है, और अगर चेतना का सौंदर्य जानना हो तो ध्यान मार्ग पर चलिए और अगर शरीर का सौंदर्य मानना हो, तो ध्यान को भूल जाना ही एक मात्र मार्ग है। ध्यान कभी मत करना नहीं तो शरीर का असौंदर्य पता चलेगा। तुम्हें पता चलेगा कि इस शरीर में यही सब तो भरा है, इसमें और तो कुछ भी नहीं है। कभी जाकर अस्पताल में टंगे अस्थिपंजर को देखना , किसी मुर्दे का पोस्टमार्टम होता हुआ तो जरूर देखना, जब आप ये सब देखोगे तो आपको शरीर का असौंदर्य पता चलेगा, उससे तुम्हें थोड़ी अपनी स्मृति आएगी कि तुम्हारी हालत क्या है। किसी मुर्दे का पेट कटा हुआ देख लेना, तब तुम्हें समझ में आएगा कि कितना मल-मूत्र भरे हुए हम चल रहे हैं। यह हमारे शरीर की स्थिति है।

बुद्ध कहते हैं, इस स्थिति को हमेशा याद रखो। यह बोध रहे तो धीरे-धीरे शरीर से तादात्म्य (Identification) टूट जाता है और तुम उसकी तलाश में लग जाते हो जो शरीर के भीतर छिपा है, जो परमसुंदर है। उसे सुंदर करना नहीं होता, वह सुंदर है। उसे जानते ही सौंदर्य की वर्षा हो जाती है। और शरीर को सुंदर करना पड़ता है, क्योंकि शरीर सुंदर नहीं है और कितना भी करके सुंदर नहीं होता और न कभी हुआ है। कभी हो भी नहीं सकेगा ।

तृतीय दृश्य- यह बहुत अनूठा सूत्र है। बुद्ध के अनूठे से अनूठे सूत्रों में एक। इसे खूब खयाल से समझ लेना॥

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