Maa Tumhari Bahut Yaad Aati Hai Poem in Hindi

माँ

न जाने क्यों
मुझे अब माँ की बहोत याद आती है
कुछ कहने पर, अपनी बेटी को
जैसे वह मुँह बनती है,
मुझे मेरी ही याद दिलाती है
न जाने क्यों, मुझे माँ की बहोत याद आती है

उसका वो सुबह, जल्दी उठना
साथ मुझे उठाना
मुँह बनता था, मेरा भी
की इतनी जल्दी क्यों उठती हो,
तुम कोन सा, कहीं काम पर जाती हो

रोज़ मुझे एक बात
याद दिलाना
अब बड़ी हो गई हो
सीखो अब तुम, मेरा हाथ बटाना

यही मैं सोचती रहती थी
रोज़ यही तुम कहती हो
मैं तो कभी, कुछ भूलती नहीं हूँ
शायद तुम ही भूलती हो

उनका यही काम था बस
मुझे किसी न किसी
काम पर लगाए रखना
बस यही कहना
अपना सामान खुद सम्भालो
बिस्तर पर, गिला तौलिया
मत डालो

लगता था, जैसे वो हिटलर
खुद को मान रही हो
इस आज़ाद दुनिया में
मुझे गुलाम जान रही हो

इस समय पर खेलना है
उस समय पर सोना है
किस समय पर खाना है
कब कहाँ मुझे जाना है
क्यों आखिर, क्यों
सब उन्हे ही मुझे बताना है

कितनी मैं नादान थी
उनके प्यार, दुलार से अनजान थी
क्यों न समझ मैं पाती थी
मेरी हर बात का ध्यान वो
रखा करती थी
क्या मैं खुद से वो सब कर पाती
जो वह मुझे बताती थी

बस यही दुविधा अब मेरी है
मेरी भी छोटी सी दुनिया है
जो मेरी प्यारी सी
बिटिया है
वो भी मेरी हर डांट पर
वैसे ही मुँह बनाती है
वो मुझे मेरी ही याद दिलाती है
इसलिए शायद मुझे
माँ तुम्हारी बहोत याद आती है!

Renuka Kapoor Delhi

लेखिका:- रेणुका कपूर, दिल्ली
kapoorrenuka2018@gmail.com

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2 Comments

  1. Wah …. Maa ka varnan bahut sundar tareeke se kiya… Padh kar senti ho gaya mein to

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