विडंबना संस्था के अधिकारी ने एक मीटिंग की। सभी सदस्य उपस्थित हुए। यह निर्णय लिया गया कि अपने परिसर को हरा भरा रखने का दायित्व हम सब का है। इसके लिए कुछ कार्य योजना…
लघुकथा – मालिक किसान ‘ज़मीदार’ होता है, ज़मीन का मालिक। लेकिन इसका अहसास कितने लोगों को होता है ? नत्थूराम के दोनों बेटे क़ाबिल थे। बड़ा बेटा रोहित एम.ए. करने के पश्चात प्रतियोगी परीक्षा…
तीन लघु कथाएं 1- ईमानदारी – महेश राजा 2- प्रवचन – शुभम बैश्णव 3- पश्चाताप की अग्नि – शांतिलाल सोनी ईमानदारी – महेश राजा थ्री टीयर, स्लीपर कोच के पास बड़ी भीड़ थी।…
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था। वह बहुत गुस्सैल था, छोटी-छोटी बात पर अपना आपा खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह देता। उसकी इस आदत से…
कथा 1 – अन्नदाता का अधिकार मिश्राजी अपने दोस्त के यहां आए थे। उनकी बेटी से बोले- ‘बेटा अब एमबीबीएस कंप्लीट होने के बाद आपको सरकारी अस्पताल में जॉइनिंग मिल गई है। पोस्टिंग कहां…
तोहफा -सविता मिश्रा डोरबेल बजी जा रही थी। रामसिंह भुनभुनाए ‘इस बुढ़ापे में यह डोरबेल भी बड़ी तकलीफ देती है। ‘दरवाजा खोलते ही डाकिया पोस्टकार्ड और एक लिफाफा पकड़ा गया। लिफाफे पर बड़े अक्षरों…
नसीहत मुंबई स्टेशन पर खड़ी ट्रेन का इंजतार कर रही थी। मैं प्लेटफॉर्म पर बैठी पत्रिका पढ़ने का प्रयास कर रही थी। एक बच्चे की गिड़गिड़ाहट ने तन्मयता भंग की। सुबू को भूक्खा हैं…
असली चेहरा! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सोसाइटी की चार वायोव़द्ध महिलाओं को संमानित करके सोसाइटी के सचिव भरत जी ने तमाम महिलाओं के मन में अपनी एक खास जगह बना ली थी। अपने उद्बोधन…
रात के दो बजे एक कुत्ता झोपड़ी के आगे उदास बैठा था! दूसरा कुत्ता आया और बोला:- रोज तो खूब भौकता है, आज चुप क्यों बैठा है? उदास कुत्ता बोला:- रोटी तो कई बार…